राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मेला -
छात्रों में विज्ञान, वैदिक गणित तथा संस्कृति के प्रति रूचि संवर्धन हो, इस हेतु से विद्याभारती महाकोशल प्रान्त के निर्देशन में छात्र अपने विद्यालय, संकुल तथा प्रांतीय ज्ञान-विज्ञान मेले में अपना कौशल दिखा कर, क्षेत्रीय स्तर पर स्थान प्राप्त करके राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मेले में प्रतिभागिता करते हैं। छात्रों में इस मेले द्वारा जो उर्जा संचरित होती है, वही हमारी बहुमूल्य निधि है, जिसे हम ऐसे आयोजनों के माध्यम से सुरक्षित रखते हैं।
अखिल भारतीय खेल-कूद प्रतियोगिताएँ -
‘शरीरमाधं खलु धर्म साधनम’ इस ध्येय वाक्य का स्मरण करते हुए अपने लक्ष्य की पूर्ति हेतु शरीर की महत्ता को केंद्र में रखकर विद्या भारती बालको के सवर्गिण विकास हेतु खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन करती है। विद्यालय, संकुल, प्रांत तथा क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर छात्र राष्ट्रीय खेल-कूद प्रतियोगिता में प्रतिभागिता करता है।
संस्कृति ज्ञान परीक्षा -
हमारी भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है। संस्कृति ही जीवन का आधार होती है। वर्तमान शिक्षा पद्धति से संस्कृति का यह भाव समाप्त होता जा रहा है। उसी मूल भाव को पुनजागृत करने हेतु छात्रों को अपनी संस्कृति का बोध कराना परम आवश्यक है। इसी निमित्त विद्या भारती कक्षा चौथी से बारहवी के छात्रों एवं आचार्यों के लिए इस परीक्षा का आयोजन करती है।
आचार्य विकास एवं प्रशिक्षण वर्ग -
शिक्षा एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है, कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं हो सकता, आजीवन सीखने की संभावनाएं उनमे बनी ही रहती हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर विद्या भारती महाकोशल प्रान्त द्वरा प्रतिवर्ष "आचार्य विकास वर्ग” एवं विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन किया जाता है |
संस्कार केंद्र -
शिक्षा एवं संस्कार के अभाव में बालक के पथ-भ्रष्ट होने की संभावनायें बनी रहती हैं, अत:विद्या भारती की योजना अनुसार समाज में जो वंचित एवं उपेक्षित क्षेत्र है उन तक अच्छी शिक्षा तथा अच्छे संस्कार पहुँचे, इस निमित विद्यालयों के माध्यम से बाल संस्कार केन्द्रों का संचालन यह समिति अनेक वर्षों से करती आ रही है।